*Bagair Aale Muhammad ﷺ Ke Naam Ka Durood Parhna Kesa ? Or Use Dum Kata Durood Kahna ?*
*🌹SAWAL:-🌹*
इस ईद मिलाद के मौके पर हम आपको ये बताना चाहते है कि दरूद शरीफ पढ़ने का सही तरीका क्या है ? क्या आप जो दरूद शरीफ पढ़ने है वो मुकम्मल दरूद है ? क्या वो ऐसा दरूद है जो रसूलल्लाह को पसंद हो ?
कही आप भी दुम कटा दरूद यानी अधूरा दरूद तो नहीं पढ़ते ?
जाने इस पोस्ट में 👇
दुम कटा दरूद क्या है सबसे पहले आप ये जान ले
दुम कटा दरूद" (अधूरा दरूद) से मतलब है — वह दरूद जिसमें नबी ﷺ का नाम लेने के बाद उनकी आल का ज़िक्र न किया जाए।
उदाहरण:
सिर्फ़ "اللهم صل على محمد" कहकर रुक जाना।
जबकि सही और मुकम्मल दरूद है:
"اللهم صل على محمد وعلى آل محمد"
📖 हदीस से सबूत–
कई सहिह हदीसों में नबी ﷺ ने इस बात को साफ़ फ़रमाया है कि अधूरा दरूद न पढ़ा जाए।
1. हदीस (सहीह बुखारी व सहीह मुस्लिम)
> रसूलुल्लाह ﷺ से पूछा गया: "या रसूलल्लाह, हम आप पर सलात भेजते हैं, तो कैसे भेजें?"
आपने फरमाया:
"कहो: اللهم صل على محمد وعلى آل محمد كما صليت على إبراهيم وعلى آل إبراهيم إنك حميد مجيد"
(अल्लाहुम्मा सल्लि अला मुहम्मदिं व अला आलि मुहम्मदिन... )
📚 (बुखारी, हदीस 3370; मुस्लिम, हदीस 406)
2. इमाम दरक़ुत्नी (306-385 हिजरी)
“सननुद दरक़ुत्नी” (जिल्द 2, सफ़ा 398)
यहां साफ़ बयान है:
> "जो मुझ पर दरूद पढ़े और मेरे अहल-ए-बैत (आल) को छोड़ दे, उसने दुम कटा दरूद पढ़ा।"
📚 (दर-क़ुत्नी, जामिउस-्सगीर लिस्सयूती, हदीस 8802)
3. इमाम अबू दाऊद (202-275 हिजरी)
सुनन अबू दाऊद, किताब अस- सलात, हदीस 976
इसमें भी वही अल्फ़ाज़ आए हैं कि दरूद हमेशा आल समेत हो।
4. इमाम स्यूती (849-911 हिजरी)
“अल-जामिउस-्सगीर” हदीस नं. 8802
उन्होने भी यही हदीस नक़ल की है और कहा कि अधूरा दरूद पढ़ना गलत है।
5. इमाम नौवी (631-676 हिजरी)
किताब: अल-अज़कार
लिखा है कि मुकम्मल दरूद वही है जिसमें आल-ए-मुहम्मद ﷺ का ज़िक्र हो।
आला हज़रत से हवाला
1. फ़तावा-ए-रज़विया (जिल्द 6, सफ़ा 422, पुराना नुस्ख़ा)
आला हज़रत लिखते हैं:
> “सिर्फ़ اللهم صل على محمد कहना दरूद नहीं, बल्कि दुम कटा दरूद है। और दुम कटा दरूद मक़बूल नहीं। दरूद वही है जिसमें ‘आल’ का ज़िक्र हो।”
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2. अल अम्न वल उला (दरूद पर आला हज़रत की किताब)
इसमें आला हज़रत ने अहादीस के हवाले से तफसील बयान की है कि रसूल ﷺ पर मुकम्मल दरूद भेजना फ़र्ज़ है और अधूरा दरूद (बिना आल) ग़लत है।
उन्होंने दरक़ुत्नी की हदीस भी नक़ल की:
> “मَن صلّى عليّ ولم يصلِّ على آلِي فقد أبتر الدعاء”
(जो मुझ पर दरूद पढ़े और मेरे आल पर न पढ़े, उसका दरूद अधूरा है)।
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3. हुसामुल हरमैन (आला हज़रत की मशहूर किताब)
इस किताब में आला हज़रत ने उन लोगों पर एतराज़ किया जो “आल” का ज़िक्र छोड़े रहते थे, और इसे नबी ﷺ की बेअदबी करार दिया।
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🔑 नतीजा
आला हज़रत का भी यही मानना है कि “दुम कटा दरूद” (बिना आल) दरूद, दरूद कहलाने लायक़ नहीं।
सही और मुकम्मल दरूद यही है
“اللهم صل على محمد وعلى آل محمد...”
Asalamualaikum
Aulma E Kiram Wa Muftiya Ne Izam Ki Bargah Me Suwal He Kiya Ye Post Me Diye Gaye Hawale Durust He or Jo Alfaz Is Durud Ke Hawale Se Istamal Kiye Gaye Jese *Dum Kata* Ye Alfaz Istamal Karna Jayaz He or Ye Buzurgon Ki Taraf Mansub Kiya Gaya He Iski Kiya Hakikat Rehanumai Farmaye
*🌹JAWAB:-🌹*
وَعَلَيْكُم السَّلَام وَرَحْمَةُ اَللهِ وَبَرَكاتُهُ
Durood Shareef Parhne Ka Sabse Bahetareen or Afzal Tareeqa Yahi He Ki "Muhammad Wa Aali Muhammad Sallallahu Ta'Ala Alaihi W Aalihi W Sahbihi Ajmaeen",
Donoñ Ka Zikr Kiya Jaye or Donoñ Hi Shakhsiyatoñ Par Duroodo Salam Bheja Jaye, Ye Afzal Tareeqa W Bahetareen Tareeqa He or Yahi Akmalo Mukammal Durood Shareef He,
Jaisa Ki As-Sawaaiqul Muharriqa Me Allama Ibne Hajar Haytami Alaihir Rahma Ne Farmaya,